Saturday, June 28, 2014

~ मङ्गलगीतम् ~ (श्रीजयदेवविरचित)



~ मङ्गलगीतम् ~

 

श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए । 

कलितललितवनमाल जय जय देव हरे ॥ १ ॥





लक्ष्मीजीके कुचकुम्भोंका आश्रय करनेवाले, कुण्डलधारी और अति मनोहर वनमालाधारी हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ १ ॥


दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए ।

मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे ॥ २ ॥


सूर्यमण्डलको सुशोभित करनेवाले, भवभयके नाशक और मुनियोंके मनरुप सरोवरके हे हंस हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ २ ॥


कालिविषधरगञ्जन ए ।

यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे ॥ ३ ॥


 

कालियानागका दमन करनेवाले, भक्तोंको आनन्दित करनेवाले एवं यदुकुलकमलदिवाकर हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ३ ॥


मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए ।

सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे ॥ ४ ॥


 

मधु मुर और नरकासुरके संहारकर्ता, गरुडवाहन, देवताओंकि क्रीडाके आश्रय हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ४ ॥


अमलकमलदललोचन भवमोचन ए ।

त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे ॥ ५ ॥


 

निर्मल कमलदलके समान नेत्रोंवाले, भवबन्धनको काटनेवाले एवं त्रिभुवनके आश्रयभूत हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ५ ॥


जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए ।

समरशमितदशकण्ठ जय जय देव हरे ॥ ६ ॥


 

सीताके साध शोभा पानेवाले, दूषण दैत्यको जीतनेवाले और युद्धमें रावणको मारनेवाले हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ६ ॥


अभिनवजलसुन्दर धृतमन्दर ए ।

श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे ॥ ७ ॥


 

नवीन मेघके समान श्यामसुन्दर, मन्दराचलको धारण करनेवाले और लक्ष्मीजीके मुखचन्द्रके लिये चकोररुप हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ७ ॥


तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए ।

कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे ॥ ८ ॥


 

आपके चरणोंकी हम शरण लेते हैं, आप भी इधर दयादृष्टि कीजिये और हम शरणागतोंका कल्याण कीजिये । हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ८ ॥


श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं कुरुते मुदम् ।

मङ्गलमञ्जुलगीतं जय जय देव हरे ॥ ९ ॥

 

इति श्रीजयदेवविरचितं मङ्गलगीतं सम्पूर्णम् ।



इस प्रकार श्रीजयदेव कविका बनाया यह मंगलमय मधुर गीत भक्तोंको आनन्द देनेवाला है । हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ९ ॥