~ मङ्गलगीतम् ~
श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए ।
कलितललितवनमाल जय जय देव हरे ॥ १ ॥
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए ।
मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे ॥ २ ॥
सूर्यमण्डलको सुशोभित करनेवाले, भवभयके नाशक और मुनियोंके मनरुप सरोवरके हे हंस हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ २ ॥
कालिविषधरगञ्जन ए ।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे ॥ ३ ॥
कालियानागका दमन करनेवाले, भक्तोंको आनन्दित करनेवाले एवं यदुकुलकमलदिवाकर हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ३ ॥
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए ।
सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे ॥ ४ ॥
मधु मुर और नरकासुरके संहारकर्ता, गरुडवाहन, देवताओंकि क्रीडाके आश्रय हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ४ ॥
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए ।
त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे ॥ ५ ॥
निर्मल कमलदलके समान नेत्रोंवाले, भवबन्धनको काटनेवाले एवं त्रिभुवनके आश्रयभूत हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ५ ॥
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए ।
समरशमितदशकण्ठ जय जय देव हरे ॥ ६ ॥
सीताके साध शोभा पानेवाले, दूषण दैत्यको जीतनेवाले और युद्धमें रावणको मारनेवाले हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ६ ॥
अभिनवजलसुन्दर धृतमन्दर ए ।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे ॥ ७ ॥
नवीन मेघके समान श्यामसुन्दर, मन्दराचलको धारण करनेवाले और लक्ष्मीजीके मुखचन्द्रके लिये चकोररुप हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ७ ॥
तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए ।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे ॥ ८ ॥
आपके चरणोंकी हम शरण लेते हैं, आप भी इधर दयादृष्टि कीजिये और हम शरणागतोंका कल्याण कीजिये । हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ८ ॥
श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं कुरुते मुदम् ।
मङ्गलमञ्जुलगीतं जय जय देव हरे ॥ ९ ॥
इति श्रीजयदेवविरचितं मङ्गलगीतं सम्पूर्णम् ।
इस प्रकार श्रीजयदेव कविका बनाया यह मंगलमय मधुर गीत भक्तोंको आनन्द देनेवाला है । हे देव ! हे हरे ! आपकी जय हो, जय हो ॥ ९ ॥